बुधवार, 7 सितंबर 2011

एक है

वन के पक्षी हैं अनेकों पर ठिकाना एक है
सबकी भाषाएँ अलग है पर तराना एक है
दिल में यदि प्यार है तो सारा जमाना एक है
हम शिकारी भिन्न हैं लेकिन निशाना एक है
पर्वत को भी तुम धूल बना सकते हो
उंगली पर हिमालय को उठा सकते हो
विश्वास रख अगर एक हो जाओ
आकाश को धरती पर झुका सकते हो
तुम हंसते हुए आग पर चल सकते हो
तुम चाँद से आगे भी निकल सकते हो
यदि ठीक तरह शक्ति का उपयोग करो
तुम समय की धारा बदल सकते हो
भला बुरा न कोई रूप से कहलाता है
की दृष्टिभेद स्वयं दोष- गुण दिखता है
कोई कमल की कली देखता है कीचड में
किसी को चाँद में भी दाग नजर आता है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें