मंगलवार, 4 मई 2010

हालचाल

जब भी कोई कहता है
‘सुनो आदमी’
समझ में आता है
कि अपने भीतर के
जंगल और जानवर को मारो,
जब भी कोई कहता है
‘बनो आदमी’
समझ में आता है
कि मेरे भीतर
कितना बचा है
जंगल और जानवर?
लेकिन
एक फर्क है
आदमी और जानवर में
जानवर,
भविष्य की योजनाएं तो बनाता है
लेकिन नहीं रख सकता यादों में
किसी को सहेजकर
और मैं,
उल्टे पांव चलती इस दुनिया में
जो मुझे अच्छा लगा
उसे भूलना नहीं चाहता...
बताइएं,
कैसे हैं आप?

- अजय यादव

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