बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

चुनौती न दिया कर

मैनें किया नहीं ऐसा काम,
मुझको बदनाम न कर,
हमारे संबंधों के चर्चाओं को सरेआम न कर,
निगाहें फेरकर मुझे छोड़ दी अकेले,
मरहम न लगा सको बेशक,
जख्मों को हरा न कर,
सोचा है क्या होगा उसके बाद,
क्या फर्क पड़ता है तुमको,
एक सवाल का जबाब न दिया अब तक,
फिर सवाल पर सवाल न कर,
कौन मरा किसके लिए इतिहास में दर्ज हो जाएगा,
मुझको बार-बार मरने से यूँ रोका न कर,
दे न पाऊँगा तुम्हें मैं वो तमाम खुशियाँ,
मेरे नसीब में ही दुख है मुझे रूसवा न किया कर,
कल्पना में ले लो आनंद, हकीकत न बन सके गर,
प्यार के स्वप्निल घरौंदों को एक झटके में तोड़ा न कर,
क्यों छोड़ दिया मुझको तनहा तुमने,
फिर छोड़कर मुझको जाया न कर,
गुजर जाएँगी यादें, गुजर जाएँगी लम्हे,
शेष बचेगा क्या यह सोचकर पागल न बना कर,
रोशनी में नहीं दिखता है अंधेरा,
लोगों के भीड़ में मुझे देखा न कर,
नहीं रहने देगी चैन से ये दुनियाँ,
अपने दुख दर्द उन्हें सुनाया न कर,
खोज लिए हैं तुम्हारे प्रश्नों के हल,
इस तरह हमसे इम्तहान न लिया कर,
मेरी तरह रोती हो रात भर तुम भी,
नहीं रोने का मुझे नाटक न किया कर,
जीत लेंगे बाजी, माँग लेंगे रब से तुम्हें,
तुम हमेशा मुझे इस तरह चुनौती न दिया कर ।

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