सूर्य में कितनी तपन है,
अग्नि में कितनी जलन है,
बता सकते हैं वही लोग,
जिनकी जिंदगी हवन है,
क्रांति की शुरूआत करने,
चल पड़ा बेखौफ होकर,
चट्टानों को जो तोड़ दे,
बाधाओं को पार करके,
समाधान की राह चलके,
क्या डिगा सकेगा कोई उसको?
मुत्यु का नहीं हो खौफ जिसको,
कोई जुनूनी ही कर सकता है,
क्या मातृभूमि हेतु सब मर सकता है?
शक्तियाँ अब साथ देंगी,
आँधियाँ उल्लास देंगी,
तुम न अपने पथ से डिगना,
क्रांति में अब भाग लेने,
चल के आएँगी अब शक्तियाँ,
जोश भरने जुनून भरने,
गद्दारों का अंत करने,
फड़क रही भुजाएँ अब जंग लड़ने ।
बुधवार, 7 अक्तूबर 2009
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