बुधवार, 7 अक्तूबर 2009

दिन में शाम

उनके आने पर बिखर जाती है नूर,
कोई तो पूछे हो सकती है वो हमसे दूर,
दिया है उसने तीन-तीन चिराग,
बिन माँगे मुझे मिल गई मुराद,
सुन लो मेरे ईश्‍वर मेरे भगवान,
पूरे हो सब के सब मेरे अरमान,
जल्द जारी करो ऐसा फरमान,
ना रहे अब कोई बेईमान,
करूणा, मानवता, ईमानदारी है वीरान,
विश्‍व का ही है इसमें नुकसान,
बेईमानी, अत्याचार, भ्रष्टाचार का यह विधान,
मिटा देगा जल्द ही यह जहान,
करना पड़ेगा जल्द ही यह काम,
रोक देंगे सूर्य को,
होगी जब दिन में शाम ।

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